
2 लाख पेड़ पौधे वाले 318 एकड़ के जंगल मे पिछले 10 साल से अबतक कोई भी जंगली जानवर का शिकार का प्रकरण नही बना
4 साल से अतिक्रमण का भी केस दर्ज नही हुआ, लोगो मे बन रही वनों के प्रति जागरूकता
(कुलेश्वर सिन्हा-क्षेत्रीय भूमिका सम्पादक)
गरियाबंद/छुरा- आज अंचल में दिनभर मौसम खुशनुमा रहा । बता दे कि मानसून के आगमन के पहले ही छुरा क्षेत्र में बदली और बारिश की दस्तक पिछले 2 दिनों से हो गई हैं । वही मानसून के पहले ही बारिश होने से किसान अब पुनः खेती किसानी की ओर रुख कर रहे हैं । यह नजारा छुरा मुख्यालय से लगभग 6 किमी के दायरे स्तिथ माँ टेंगनाही मंदिर के पहाड़ का नजारा है।
बता दे टेंगनाहीमाता मंदिर के पहाड़ी का जंगल 129 हेक्टेयर यानी 318 एकड़ में फैला है जो कि ग्राम पंचायत मोंगरा, नवापारा , कोसमी के जंगलों को जोड़ता है । इस जंगल के आसपास घने जंगल होने के कारण शाम व रात्रि में लोगबाग सफर नही करते हैं ।
यहां जाने के लिए पक्की सड़क बनी हुई है , जो कि छुरा मुख्यालय से प्रारम्भ होकर ओड़िशा के सीमा में जाकर छूटती है । आपको बता दे कि छुरा मुख्यालय से ओडिशा सीमा लगभग 20 किमी में ही लग जाती है जो कि इस जंगल को छूती हुई निकलती है ।
टेंगनाही के पहाड़ी से लेकर ग्राम मोंगरा तक एवं ग्राम मोंगरा से लेकर ग्राम नवापारा तक यह जंगल 318 एकड़ में फैला हुआ है । जिसमे कम से कम 2 लाख पेड़ पौधे है । इस पेड़ पौधों में कर्रा , साजा , बीजा , हल्दू मुंडी, तेंदू, चार आंवला शामिल हैं ।
वही इस जंगल मे ओषधि में भुई लिम , भूई आंवला , क्योकन्द, नागर कंद, पताल कुम्हड़ा , बाय बिडिंग शामिल हैं । जंगली जानवरों में देखा जाए तो हिरण ,भालू, तेंदुआ, चिता, कोटरी, गौर, नीलगाय ये सभी प्रजाति के जानवर इस जंगल मे दस्तक देते रहे हैं ।
पिछले 10 साल में एक भी जंगली जानवरों के शिकार का प्रकरण नही
छुरा वन परिक्षेत्र अधिकारी एसडी दीवान ने जानकारी देते हुए बताए कि इस जंगल मे पिछले 10 साल तक कोई भी शिकार वाला प्रकरण नही बना है । उन्होंने बताया कि विभाग की मुस्तैदी से जंगली जानवर सुरक्षित है ।
15 हेक्टेयर पर आसपास के लोगो ने अतिक्रमण किये लेकिन अभी 4 वर्ष तक कोई अतिक्रमण का केश नही
छुरा वन परिक्षेत्र अधिकारी एसडी दीवान में बताया कि इस जंगल मे लगभग 15 हेक्टेयर तक ही अतिक्रमण का केस दर्ज हुआ औऱ कुछ को वनाधिकार पट्टा भी विभाग से प्रदान किया गया । लेकिन अभी पिछले 4 वर्ष तक लोगो मे वनों के प्रति प्रेम भाव व जागरूकता देखा गया औऱ पिछले 4 वर्ष से अतिक्रमण का केस दर्ज नही हुआ है।
5000से अधिक की जनसंख्या में भी पब्लिक बसे नही चलती लोग खुद के साधन से आना जाना करते हैं
बता दे कि इस क्षेत्र में 5000 से अधिक लोग बस्ते हैं फिर भी इस रूट में कोई भी बस या चारपहिया वाहन सेवा उपलब्ध नही है । लगभग 6 से 8 गाँव के लोग अपने स्वयं के साधन से आना जाना करते हैं । रात्रि में इस सड़क में कोई भी आवाजाही नही के बराबर होती है ।
ऐसे इलाके में रहने वाले ग्रामीणों को श्वास रोग नही के बराबर है
ब्लाक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बीएमओ डा एसपी प्रजापति ने जानकारी देते हुए बताए ऐसे वातावरण में रहने वाले लोग काफी हाई इम्यूनिटी वाले होते हैं। इस इलाके में काफी कम लोग एवं नही के बराबर स्वास रोग से पीड़ित देखे गए हैं ।
जंगली इलाको में कोविड संक्रमण की दर 20 % रही वही अन्य इलाकों में 80%
वही बीएमओ ने जानकारी देते हुए आगे भी बताए कि जो लोग आक्सीजन हब कहे या जंगलो के आसपास के रहने वाले लोगो मे कोविड की संक्रमण की दर 20 % रही तो वही सामान्य क्षेत्रों में रहने वाले लोगो मे कोविड संक्रमण दर80 % देखा गया । क्योकि एक बड़ा पेड़ अधिकतम 500 लीटर तक आक्सीजन देता है वही छोटा पेड़ 200 से 300 लीटर तक ऑक्सीजन एक दिन में देता है । लोगो को वृक्षो के प्रति जागरूक होना पड़ेगा ।