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मुख्यमंत्री
बघेल ने नाबार्ड के अध्यक्ष से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम की चर्चा
०० बहुउद्देशीय बोधघाट सिंचाई परियोजना और सुराजी
ग्राम
योजना के लिए मांगा सहयोग
०० गौठानों में छोटे प्रसंस्करण प्लांटों की स्थापना, कोल्ड स्टोरेज चैन विकसित करने, बस्तर के युवाओं को रोजगार से
जोड़ने किया वित्तीय मदद का आग्रह
रायपुर|
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण
विकास बैंक के अध्यक्ष श्री जी.आर. चिंताला के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम
से छत्तीसगढ़ में कृषि और ग्रामीण विकास से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों, अधोसंरचनाओं के विकास के संबंध में
विचार-विमर्श किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि नाबार्ड के सहयोग से छत्तीसगढ़ में कृषि
और ग्रामीण क्षेत्र सहित अनेक क्षेत्रों में विकास के अनेक कार्य हुए है, जो मील का पत्थर साबित हुए हैं। नाबार्ड के
माध्यम से प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के लिए बहुत से काम हुए हैं, अभी भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। यह आयोजन
नाबार्ड के 12 जुलाई को स्थापना दिवस के अवसर पर किया
गया। मुख्यमंत्री ने नाबार्ड के अध्यक्ष श्री चिंताला सहित अधिकारियों-कर्मचारियों
को स्थापना दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर कृषि एवं जल संसाधन मंत्री
श्री रविन्द्र चौबे उपस्थित थे। नाबार्ड के अध्यक्ष श्री चिंताला और उप प्रबंध
निदेशक श्री पी.वी.एस. सूर्य कुमार मुम्बई से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े।
मुख्यमंत्री ने
बस्तर अंचल की बहुउद्देशीय बोधघाट सिंचाई परियोजना और बस्तर अंचल के युवाओं को
रोजगार से जोड़ने के लिए नाबार्ड से सहयोग मांगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बोधघाट
सिंचाई परियोजना बस्तर के लिए जीवनदायिनी साबित होगी, लगभग 22 हजार करोड़
रूपए लागत की इस परियोजना के माध्यम से पूरे बस्तर अंचल में सिंचाई की सुविधा के
साथ पेयजल और निस्तार के लिए पानी उपलब्ध होगा। वर्तमान में बस्तर क्षेत्र में
सिंचाई का प्रतिशत 0 से 5 प्रतिशत तक
है। इस परियोजना के माध्यम से पूरा बस्तर सिंचित होगा। जिससे वहां के लोगों का
जीवन स्तर सुधरेगा। उन्होंने कहा कि अनेक नैसर्गिक विशेषताओं वाले बस्तर में नक्सल
समस्या एक बड़ी चुनौती है। बस्तर के युवाओं को रोजगार देकर उन्हें मुख्य धारा में
जोड़ने में सहायता मिलेगी। बघेल ने
सुराजी गांव योजना के तहत नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना
की विस्तार से जानकारी देते हुए इस योजना के लिए नाबार्ड से सहयोग मांगा। उन्होंने
कहा कि गांवों में बनाए जा रहे गौठानों में महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से
लघु वनोपजों और वनौषधियों के प्रसंस्करण के लिए छोटे-छोटे प्लांट लगाने की राज्य
सरकार ने योजना तैयार की है। इससे समूह की महिलाओं को रोजगार और आय का अच्छा साधन
मिलेगा। महिलाओं द्वारा तैयार उत्पादों की मार्केटिंग के लिए बड़ी कम्पनियों से
चर्चा चल रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर गांव के गौठान में एक एकड़ जमीन
ग्रामोद्योग गतिविधियों के लिए आरक्षित रहेगी। इसके माध्यम से छत्तीसगढ़ के हर गांव
में एक इंडस्ट्रियल पार्क होगा। गौठानों में गोबर से वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण भी
महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा किया जाएगा। उन्होंने इस योजना के लिए नाबार्ड से
वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने का आग्रह किया।
बघेल ने प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में कृषि और उद्यानिकी
फसलों को सुरक्षित रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज के निर्माण, फूड प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना के लिए भी
सहयोग मांगा। श्री बघेल ने बताया कि छत्तीसगढ़ से पड़ोसी देशों को टमाटर की सप्लाई
की जाती है। दुर्ग, रायपुर और जशपुर में फलों तथा उद्यानिकी
फसलों का अच्छा उत्पादन होता है। जशपुर में नाशपाती, काजू, स्ट्राबेरी, कॉफी की
खेती होती है। कोल्ड स्टोरेज की चैन विकसित होने से इन्हंे ज्यादा समय तक सुरक्षित
रखा जा सकेगा और किसानों को इनका अच्छा दाम मिलने में सहायता मिलेगी। उन्होंने
बताया कि बस्तर में मिर्ची का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। इसका नागपुर में बड़ा
बाजार है यदि मिर्ची के परिवहन के लिए नाबार्ड की सहायता से वातानुकूलित परिवहन
वाहन उपलब्ध होता है, तो बस्तर के किसानों को मिर्ची का अच्छा
दाम मिलेगा। उन्होंने धान खरीदी में नाबार्ड द्वारा उपलब्ध कराई जा रही ऋण सहायता
के लिए धन्यवाद दिया। नाबार्ड के
अधिकारियों ने इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को बताया कि किसानों को
कृषि ऋण देने के लिए 700 करोड़ रूपए की राशि नाबार्ड द्वारा
स्वीकृत की गई है। चालू वित्तीय वर्ष में नाबार्ड द्वारा अब तक 450 करोड़ रूपए का कृषि ऋण वितरित किया जा चुका है। मांग आने पर 1500 करोड़ रूपए का कृषि ऋण नाबार्ड द्वारा दिया
जा सकता है। नाबार्ड के अधिकारियों ने यह जानकारी भी दी कि छत्तीसगढ़ के सभी जिलों
के अस्पतालों में कोविड-19 तथा संक्रामक रोगों के मरीजों के इलाज के
लिए एक-एक वार्ड के निर्माण के लिए 192 करोड़ रूपए
की ऋण सहायता स्वीकृत की गई है। इसी तरह प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के लिए 792 करोड़ रूपए की ऋण सहायता मंजूर की गई।
नाबार्ड के अधिकारियों ने प्रदेश में 37 कोविड
सैम्पल कलेक्शन सेंटर (कियोस्क) की स्थापना के लिए 9 लाख 93 हजार रूपए की अनुदान राशि का स्वीकृति का पत्र
मुख्यमंत्री को सौंपा। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर नाबार्ड क्षेत्रीय कार्यालय
द्वारा प्रकाशित ‘छत्तीसगढ़ में नाबार्ड 2019-20‘ पुस्तिका का किया विमोचन भी किया।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश में स्वास्थ्य अधोसंरचना के विकास की
जरूर बताते हुए, इसके लिए नाबार्ड से और अधिक वित्तीय
सहायता उपलब्ध कराने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इसके लिए 500 करोड़ रूपए की सहायता दी जानी चाहिए।
नाबार्ड के अध्यक्ष श्री जी.आर. चिंताला ने कहा कि नाबार्ड द्वारा छत्तीसगढ़ सेे
प्रस्ताव प्राप्त होने पर 20 से 25 हजार करोड़
रूपए की वित्तीय सहायता विभिन्न क्षेत्रों में विकास कार्याें के लिए उपलब्ध कराई
जा सकती है। उन्होंने बस्तर अंचल की बहुउद्देशीय बोधघाट परियोजना के लिए सहायता
उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में ज्यादा से ज्यादा
कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन किया
जाना चाहिए। इससे किसानों को कारोबार बढ़ाने, बागबानी और
सब्जी की फसलों के विपणन के लिए अनुदान सहायता नाबार्ड से उपलब्ध कराई जाएगी।
नाबार्ड के छत्तीसगढ़ के मुख्य महाप्रबंधक श्री एम. सोरेन ने
बताया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में नाबार्ड
द्वारा छत्तीसगढ़ में कृषि एवं ग्रामीण विकास के कार्याें के लिए 10 हजार करोड़ रूपए की वित्तीय सहायता और 20 करोड़ रूपए की अनुदान सहायता उपलब्ध कराने का
प्रावधान किया गया है। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ की कृषि उत्पादन आयुक्त और प्रमुख सचिव
कृषि डॉ. श्रीमती एम. गीता, मुख्यमंत्री के सचिव श्री सिद्धार्थ कोमल
सिंह परदेशी, नाबार्ड के अधिकारी उपस्थित थे।